Principal's Desk
Dr. Sanjive Kumar Singh
Dr. Sanjive Kumar Singh
Prof.-in-charge
G.C. Jain Commerce College, Chaibasa
Ex- Head, Department of Commerce & Business Management,
Kolhan University, Chaibasa
From the Desk of the Principal
I am filled with immense pleasure to convey, as the Principal of G.C. Jain Commerce College, Chaibasa, that our institution, though modest in size, radiates glory as it imparts commerce education under the esteemed umbrella of Kolhan University, nestled in a rustic locale where students from distant rural regions and neighboring states converge to pursue their studies. The fusion of adept students, erudite faculty, and diligent support staff has been instrumental in elevating the educational standing of our esteemed college.
Ever zealous to embrace novel opportunities, our institution continually endeavors to cater to the needs of its stakeholders, particularly the students, who not only excel academically but also actively engage in a myriad of extracurricular pursuits such as competitions, sports, social and cultural endeavors, as well as awareness and extension programs. Their insatiable thirst for knowledge is palpable, and their disciplined demeanor garners recognition from peers and institutions alike.
Proudly, our college has been a nurturing ground for numerous national and international sports achievers in disciplines like Badminton, Archery, and Yoga. Moreover, it fills us with immense pride to acknowledge the role our institution plays in producing university and state toppers, as well as fostering the growth of successful entrepreneurs and professionals who contribute to the prosperity of Chaibasa and its environs.
In 1972, the college embarked on its humble journey, sparked by the noble vision of the late Mr. Gyan Chand Jain, a visionary ahead of his time. With a fervent desire to bestow the gift of higher education upon the youth, he generously bequeathed his precious land, laying the cornerstone for this esteemed institution in Chaibasa. Now, 52 years have gracefully passed since the inception of this venerable establishment, yet it steadfastly upholds the timeless belief that education stands as an unrivaled conduit for nurturing the potential and vigor of the young. Within its walls thrives an ethos that not only nurtures individual excellence but also instills a profound appreciation for the pillars of justice, liberty, equality, and fraternity.
प्राचार्य की कलम से
जी.सी. जैन कॉमर्स कॉलेज, चाईबासा के प्राचार्य के रूप में मुझे यह बताते हुए अत्यंत खुशी हो रही है कि हमारा संस्थान, आकार में छोटा होने के बावजूद, गौरव फैलाता है क्योंकि यह कोल्हान विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठित छत्रछाया के नीचे वाणिज्य शिक्षा प्रदान करता है, जो एक ग्रामीण इलाके में स्थित है, जहां दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों और पड़ोसी राज्यों के छात्र अपनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते हैं। निपुण छात्रों, विद्वान संकाय और मेहनती सहायक कर्मचारियों का मिश्रण हमारे प्रतिष्ठित कॉलेज की शैक्षिक स्थिति को ऊपर उठाने में सहायक रहा है।
नए अवसरों को अपनाने के लिए सदैव उत्सुक, हमारा संस्थान अपने हितधारकों, विशेष रूप से छात्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार प्रयास करता है, जो न केवल शैक्षणिक रूप से उत्कृष्ट हैं, बल्कि प्रतियोगिताओं, खेल, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रयासों के साथ ही जागरूकता और विस्तार कार्यक्रम जैसे असंख्य पाठ्येतर गतिविधियों में भी सक्रिय हैं। ज्ञान के प्रति उनकी अतृप्त प्यास स्पष्ट है, और उनका अनुशासित आचरण साथियों और संस्थानों से समान रूप से मान्यता प्राप्त करता है।
गर्व की बात है कि हमारा कॉलेज बैडमिंटन, तीरंदाजी और योग जैसे विषयों में कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल उपलब्धियों के लिए एक पोषण स्थल रहा है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय और राज्य के टॉपर्स तैयार करने में हमारे संस्थान की भूमिका को स्वीकार करना और साथ ही चाईबासा और इसके परिवेश की समृद्धि में योगदान देने वाले सफल उद्यमियों और पेशेवरों के विकास को बढ़ावा देना हमें बेहद गर्व से भर देता है।
1972 में कॉलेज ने दूरदर्शी स्वर्गीय श्री ज्ञान चंद जैन की नेक दृष्टि से प्रेरित होकर अपनी विनम्र यात्रा शुरू की। युवाओं को उच्च शिक्षा का उपहार देने की उत्कट इच्छा के साथ, उन्होंने चाईबासा में इस प्रतिष्ठित संस्थान की आधारशिला रखते हुए उदारतापूर्वक अपनी कीमती जमीन दान कर दी, अब, इस प्रतिष्ठित संस्थान की स्थापना के 52 वर्ष बीत चुके हैं, पर यह आज भी दॄढ़ता से इस शाश्वत विश्वास को कायम रखता है कि शिक्षा युवाओं की क्षमता और जोश को पोषित करने का एक बेजोड़ माध्यम है। इसकी दीवारों के भीतर एक लोकाचार पनपता है जो न केवल व्यक्तिगत उत्कृष्टता का पोषण करता है बल्कि न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के स्तंभों के लिए गहरी सराहना भी पैदा करता है।